एक बार की बात हैं, दो लकडहारे थे जिसके नाम राम और श्याम थे. एक दिन उन दोनों के बीच बहस छिड़ गयी इस बात को लेकर कि कौन सबसे ज्यादा लकड़ियाँ काँटाता हैं, और अगले ही दिन दोनों ने प्रतियोगिता करने का फैसला किया.
अगली ही सुबह दोनों लकडहारे अपनी अपनी कुल्हाड़ियाँ लेकर जंगल में गये. और लकड़ियाँ काँटनी शुरू कर दी. शुरु-शुरू में दोनों की रफ़्तार लगभग एक ही समान थी. कुछ ही देर बाद राम ने देखा कि श्याम ने लकड़ियाँ काँटना बंद कर दिया. यह सोचकर कि यह मेरे लिए सुन्हेरा अवसर हैं. राम ने लकड़ियाँ काँटने की रफ़्तार दुगुनी कर दी.
दस मिनट ही हुई थी कि राम ने देखा कि श्याम ने फिर से लकड़ियाँ काँटना शुरू कर दिया हैं. कुछ ही देर हुई थी कि श्याम ने फिर से लकड़ियाँ काँटना बंद कर दिया. और राम यह सोचकर की अंत में जीत उसी की होगी,बिना रुके लकड़ियाँ काँटता रहा.
ऐसे ही लकड़ियाँ काँटते हुए दिन बित गया और यही क्रम दिनभर चलता रहा.
जब परिणाम का समय आया तब राम जिसने अपना काम बिना रुके किया वह मन ही मन में गलत फ़हमी पाल रहा था कि जीत उसी की होगी, लेकिन वह गलत था.
क्योंकि जीत तो श्याम कि जीत हुई थी. राम आशचर्य चकित रह गया, कि यह कैसे हो सकता हैं. वह श्याम के पास गया और उससे पूंछा की तुम हर गंटे में दस मिनट के लिए रुक जाते फिर भी तुमने मुझसे ज्यादा लकड़ियाँ कैसे काँटी???? यह असम्भव हैं.
श्याम ने हस्ते हुए कहा- “यह तो बहुत आसान था, मेरा मतलब कुछ ज्यादा ही आसान था. हर गंटे जब भी मैं दस मिनट के लिए रुकता था और उसी वक्त जब तुम लगातार लकड़ियाँ काँट रहे थे, तब मैं अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज़ करने में लगा रहता था.
किसी वृक्ष को काटने के लिए आप मुझे छः घंटे दीजिये और मैं चार घंटे कुल्हाड़ी की धर तेज़ करने में लगाऊंगा
– अब्राहम लिंकन
दोस्तों इस कहानी से हमें बहुत ही बहतरीन संदेस मिल रहा है, वह यह है कि हमें कोई भी काम को करने से पहले हमें न की उस काम को सीधा ही शुरू करना चाहिए बल्कि हमें उसे और आसान तरीके से करने के बारे में सोचना चाहिए. इसी तरह तरह सक्सेस के लिए Smart Work भी बहुत ज्यादा जरुरी होता है.
very very motivational stories.
Nicd story…thats Right Story of real life…
I like it….Thanks to share this story.
Glad you liked it…