इस पोस्ट में आपको मिलेगी ऐसी poem जिसे आप अपने college, school के farewell या friendship day पर बोल सकते है, यह कविता वाकई में अपने dosti के दिन याद दिला ही देती है.
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Hindi Poem on Friendship:
राह देखी थी इस दिन की कब से,
आगे से सपने सजा रखे थे न जाने कब से.
बड़े उतावले थे चाहने को,
जिंदगी का अगला पड़ाव पाने को.
पर न जाने क्यों दिल में आज कुछ हाल आता हैं,
वक्त को रोकने का जी चाहता हैं.
जिन बातो को लेकर रोते थे,
आज उन पर हंसी आती हैं.
न जाने क्यों उन पालो की याद बहुत सताती है.
कहा करता था बड़ी मुस्किल से 4 साल सह गया,
पर आज न जाने क्यों एसा लगता है कुछ पीछे रह गया.
कही, अनकही हजारो बाते रह गई,
न भूलने वाली कुछ यादे रह गई.
मेरी टांग अब कौन खीचा करेगा,
सिर्फ मेरा सर खाने को कौन मेरा पिचा करेगा?
जहा 2 हजार का हिसाब नहीं,
वहा 2-2 रूपए के लिए कौन लडेगा?
कौन रात भर जाग कर साथ पड़ेगा?
कौन मेरा लंच मुझसे पूछे बिना खाएगा?
कौन मेरे नये नए नाम बनेगा?
में अब बिना मतलब के किससे लडूंगा?
बिना टॉपिक के किससे फालतू की बकवास करूँगा?
कौन-कौन फ़ैल होता हैं, दिलासा दिलाएगा?
कौन गलती से नंबर आने पर गलिया सुनाएगा?
ग्रीन गुडनेस लाइस किसके साथ पिऊंगा?
वो हंसी के पल किसके साथ जिऊंगा?
एसे दोस्त कहा मिलेंगे जो खाई में भी धक्का दे आये,
और फिर हमें बचाने खुद भी कूद जाए.
मेरी गजलो से परेसान कौन होगा?
कभी मुझे किसी लड़की के साथ बात करते देख हैरान कौन होगा?
कौन कहेगा चल बे तेरे जोक्स पे हंसी नहीं आती?
कौन पीछे से बुला कर कहेगा आगे देख भाई?
केरम में किसके साथ खेलूँगा?
किसके साथ में बोरिंग लेक्चर जेलूँगा?
प्रोफेसर के पीछे से राक्सस की तरह कौन हसेंगा?
पुगाई में हरने वाली की ट्रीट, इस चक्कर में अब कौन फसेंगा?
मेरे सर्टिफिकेट को रद्दी कहने की हिम्मत कौन करेगा?
बिना डरे सच्ची राए देने की हिम्मत कौन करेगा?
स्टेज पर अब किसके साथ जाऊंगा?
जूनियर के फालतू के लेक्चर कैसे सुनाऊंगा?
अचानक बिना मतलब के किसी को भी देखकर के पागलो की तरह हँसना,
न जाने यह फिर कब कर पाउँगा?
कह दो दोस्तों दुबारा से यह मौका.
दोस्तों के लिए प्रोफेसर से कब लड़ पाएँगे?
क्या ये दिन फिर से आ पाएँगे?
रात को 2 बजे पराठे खाने साथ कौन चलेगा?
तीन गिलास लस्सी पिने की सर्त कौन लगाएगा?
कौन मुझे मेरी काबिलियत पर भरोसा दिलाएगा?
और ज्यादा उड़ने पर जमीन पर लाएगा?
मेरी ख़ुशी में सच में खुश कौन होगा?
मेरे गम में मुझसे ज्यादा दुखी कौन होगा?
मेरी यह कविता कौन पढ़ेगा?
कौन इसे सच में समझेगा?
बहुत कुछ लिखना अभी बाकी है,
कुछ साथ सायद बाकि हैं.
हम बेमतलब की बातो को लेकर दुश्मन न बन जाए दोस्तों,
हम अजनबी न बन जाए दोस्तों.
जिंदगी के रंगों में दोस्ती का रंग फीका न पढ़ जाए,
कही एसा न हो दुसरो रिस्तो के भीड़ में दोस्ती दम तोड़ जाए.
जिंदगी में मिलने की फरियाद करते रहना,
अगर न मिल सके तो कम से कम याद करते रहना.
चाहे जितना हसलो आज मुझ पर में बुरा नहीं मानुगा,
इस हंसी को अपने दिल में बसा लूँगा.
और जब याद आएगी तुम्हारी,
यही हंसी लेकर थोडा मुस्कुरा लूँगा.
शकील हैं मेरा नाम,
और यह था मेरे दोस्तों के लिए छोटा सा पैगाम.
nice poem hai bahi