आज मैं आपको बताऊँगा कि बजट क्या है और ये कितने प्रकार का होता है?
बजट में आम आदमी के लिए क्या होता है, एक आम आदमी के लिए बजट का क्या रोल होता है? इस सवाल के जवाब में बड़े-बड़े इकोनॉमिस्ट और जानकार बड़े-बड़े डेटा और मुश्किल टर्म्स उछाल देते हैं और इसका रिज़ल्ट ये आता है कि इससे बजट को लेकर हमारा जो थोड़ा बहुत एक्साइटमेंट होता है वो भी ख़त्म हो जाता है।
इसमें अब मैं आपको सब कुछ तो नहीं लेकिन इतना तो बता ही दूँगा जिसे पढ़कर बजट को लेकर आपके मन मे जो कुछ भी डाउट्स थे वो सब क्लियर हो जायेंगे। तो आइए जानते है कि आखिर ये बजट क्या है, बजट कौन पेश करता है, बजट कितने तरह के होते हैं और बजट के बारे में कुछ फैक्ट्स भी मैं आज आपको बताऊँगा।
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बजट क्या होता है?
लीडरशिप के बारे में लिखने वाले जाने-माने अमेरिकी लेखक जॉन सी मैक्सवेल के अनुसार:
“बजट दरअसल अपने पैसों को ये निर्देश देना है कि वे कहां जाएं, बजाए ये आश्चर्य करने के कि वो कहाँ गए।”
बजट की इसी तरह से और भी बहुत-सी परिभाषाएं आपको उदाहरण के तौर पर जानने को मिल जाएगी लेकिन अगर आसान भाषा मे समझे कि बजट क्या है, तो-
अगर कोई व्यक्ति या संस्था बजट बना रही है तो इसका मतलब ये है कि वो अनुमान लगा रहा है कि आने वाले एक फिक्स टाइम पीरियड में उसकी इनकम कहाँ से होगी और उसे वो खर्च कहाँ पर करेगा।
अब इस बात को अगर हम और गहराई से समझे तो इससे बजट को लेकर दो बातें क्लियर हो जाती हैं.
पहली बात: बजट एक फिक्स टाइम पीरियड या इवेंट के लिए होता है। एक हफ्ता, एक महीना, एक साल, एक दिन।बजट किसी भी प्रकार और आकार का हो सकता है जैसे शादी का बजट, पार्टी का बजट, घर का बजट etc. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट लेकर आई है, वो है देश का बजट, ये बजट फाइनेंसियल ईयर 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक के लिए है इसलिए इसे ‘बजट 2022-23’ भी कह सकते है।
वित्त मंत्री, निर्मला सीतारामण ने जब 2020-21 का बजट पेश किया था तो दरअसल तब वो 1 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक के अनुमानित खर्चे और इनकम का हिसाब-किताब बता रही थीं।
दूसरी बात: बजट सिर्फ एक अनुमान होता है और ये तो हम सब जानते है कि फ़्यूचर को लेकर तो अनुमान ही लगाए जा सकते हैं। बस ऐसे ही अनुमान लगाने और एक डेटा का यूज़ करके अनुमान लगाने में फर्क है और वो फर्क ये है कि जब इन्ही अनुमानों को लगाने के लिए डेटा, स्टेटिस्टिक्स और वैज्ञानिक अप्रोच का सहारा लिया जाता है तो ये अनुमान और सटीक होते चले जाते हैं, मतलब ये अनुमान सही साबित होते है।
सरकार के बजट में यही किया जाता है और ऐसा भी नहीं है कि एक बार बजट बनाने के बाद उसमें बदलाव नहीं हो सकता, उसका समय-समय पर रिव्यू करना पड़ता है, बजट बनाने से पहले हफ्तों-महीनों डेटा और फीडबैक लेने में लग जाते हैं तब जाकर बजट बन पाता है।
बजट किस तरह से बनाया जाता है?
बाकी चीजों के अलावा बजट में सबसे इम्पोर्टेन्ट बात होती है इनकम और expenses का हिसाब।आइए मैं आपको ये एक एग्ज़ाम्पल देकर समझाता हूँ कि किस तरह से बजट बनाया जाता है, budget हर इंसान बना सकता है आप भी अपने आने वाले हफ़्तों, महीनों या साल का बजट कुछ इस तरह से बना सकते हो। अब ये तो मैं आपको नॉर्मली एक एग्ज़ाम्पल दे रहा हूँ ताकि आपको इज़ीली समझ आ जाये लेकिन हमारे देश का जो बजट बनता है वो इस तरह से नहीं बनता है उसके लिए बहुत सारे डेटा और एक्सपर्ट्स की सलाह ली जाती है फिर बजट तैयार किया जाता है.
जैसे कि यहाँ मैं मेरा खुद का बजट बना रहा हूँ तो मैं इस तरह से बजट अपनी नोटबुक में लिख लूँगा –
#1) मैं अगले महीने टोटल 1 लाख रुपये कमा लूँगा
#2) 30 हज़ार रुपये मेरी मार्केट वाली दुकान से जो मैंने किराये पर दी हुई है।
#3) 50 हज़ार रुपये मेरी सैलरी मिलेगी।
#4) 20 हज़ार रुपये की मेरी FD mature होगी।
खर्च वाले कॉलम में मैं लिख लूँगा
#1) 25 हज़ार रुपये मेरे घर के राशन और रोज के खर्चे।
#2) 30 हज़ार रुपये की EMI जाएगी।
#3) 15 हज़ार रुपये की वाशिंग मशीन आ रही है वो ले लूँगा।
#4) 15 हज़ार रुपये घर के रेनोवेशन में लगाने हैं।
#5) और इसके बाद जो भी बचते हैं उनको मैं अलग-अलग सेविंग्स स्कीम में लगाऊंगा।
कैलक्यूलेट करने पर मुझे पता चला है कि 15 हज़ार रुपये की बचत हो रही है और इस तरह से क्लियर हो जाएगा कि मेरे पास अलग-अलग सेविंग स्कीम में लगाने के लिए 15 हज़ार रुपये बच रहे हैं।
बजट कितने प्रकार के होते है? (Types Of Budget)
अब मेरी ये नोटबुक देखने के बाद तीन तरह के बजट सामने आ रहे है।
1) सरप्लस बजट- मेरा जो ये बजट है वो एक सरप्लस बजट है, क्योंकि इनकम और एक्सपेंसेस का पूरा हिसाब लगा लेने के बाद मेरे पास कुछ पैसे ‘एक्स्ट्रा’ बच गए, जिन्हें मैं अलग-अलग savings में लगाने का सोच रहा हूँ।
2) डेफिसिट बजट- डेफिसिट मतलब घाटा या कमी. मान लो कि मैंने जो एग्ज़ाम्पल दिया उसमें तो मेरी बचत हो रही है तो ये तो हो गया सरप्लस बजट। लेकिन अगर इसी जगह अगर मेरी इनकम कम होती और एक्सपेंसेस ज़्यादा होते तो इनकम और एक्सपेंसेस वाले कॉलम का टोटल बराबर करने के लिए मुझे इनकम वाले में कॉलम में मुझे जितने रुपयों की कमी आ रही है उतना किसी से उधार लेने होता तो देखा जाए तो मेरे इस बजट में इनकम की कमी आ रही है यानी कि ये बजट तो डेफिसिट बजट हुआ या फिर हम इसे घाटे का budget भी कह सकते हैं।
भारत का जो अभी का बजट है वो बजट घाटे वाला ही रहा है मतलब इस बजट के इनकम वाले कॉलम किसी न किसी से पैसे उधार लेने वाली लाइन भी जुड़ी हुई है।
3) बैलेन्स बजट- अब ऊपर के दोनो एग्ज़ाम्पल्स के बाद अब आपको ये तो पता लग ही गया होगा कि ऐसा बजट जिसमें जितनी इनकम हो उतने ही एक्सपेंसेस भी हो तो उसे हम बैलेन्स बजट कहेंगे।
बजट के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Interesting Facts about Budget)
Budget 2022: 31 जनवरी से बजट सेशन शुरू हो चुका है जिसको ध्यान में रखते हुए भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट (Union Budget) पेश कर दिया है।
तो आइए अब जानते हैं बजट से जुड़ी ऐसी बातें जिसे आप शायद ही जानते होंगे।
भारत का पहला बजट
सरकार द्वारा ब्रिटिश काल में पहली बार भारत में 7 अप्रैल 1860 को बजट पेश किया गया था, फाइनेंस मेंबर जेम्स विल्सन ने इस बजट को पेश किया, आजादी के बाद ब्रिटेन के बजट पेश करने के तरीके को ही आगे बढ़ाया गया।
वित्त मंत्री जो पेश नहीं कर पाए एक भी बजट
आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने देश में एक ऐसी भी वित्त मंत्री हुए हैं जिन्होंने कभी बजट पेश ही नहीं किया, 35 दिनों तक 1948 में वित्त मंत्री रहे केसी नियोगी, इकलौते ऐसे वित्त मंत्री रहे, जिन्होंने एक भी बजट पेश नहीं किया और उनके बाद जॉन मथाई भारत के तीसरे वित्त मंत्री बने।
बजट कब पेश होता है?
अब जो बजट पेश होता है वो दोपहर में 11 बजे पेश किया जाता है, इससे पहले ब्रिटिश काल में बजट शाम को 5 बजे पेश किया जाता था और ऐसा इसलिए किया जाता था, ताकि रात भर बजट पर काम करने वाले अधिकारियों को थोड़ा आराम मिल सके।
सबसे ज़्यादा बार पेश किया बजट
भारत में सबसे ज़्यादा बार भारत का बजट मोरारजी देसाई ने पेश किया है, मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में दस बार देश का बजट पेश किया है, इसमें आठ बजट और दो अंतरिम बजट शामिल हैं।
चमड़े के बैग की परंपरा खत्म
सबसे पहले जब ब्रिटेन के वित्त मंत्री संसद में सरकार का एक्सपेंसेज़ और इनकम की जानकारी देते थे और इसे चमड़ें के बैग में लेकर आया जाता था लेकिन भाजपा (BJP) सरकार ने चमड़े के बैग की परंपरा को खत्म कर दिया और पिछले साल से ही वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने चमड़े के ब्रीफ केस में बजट की जानकारी लाने की बजाय बजट की सारी जानकारी एक लाल कलर के मखमल के कपड़े में लपेट कर लेकर आई और ऐसा पहली बार हुआ था जब लेदर का बैग और ब्रीफकेस दोनों ही सरकार के बजट से गायब हो गए, बजट की इस नई परंपरा को बही-खाता बताया जा रहा है.
Thanks a lot sir ??
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