रिश्तो को बनाए रखने के लिए एक दुसरे को समझना जरुरी है

Maintaining-relationships

एक बार एक पालतू जानवरों की दुकान के बाहर दुकान का मालिक बोर्ड लगा रहा होता है: Puppies For Sale.

उसके पालतू जानवरों की दुकान पर कुछ नए पिल्ले (कुत्ते के बच्चे) आये होते है। जब वो बोर्ड का आखिरी किल लगा रहा होता है। तो अचानक उसको महसूस होता है कि कोई उसकी पतलून को खीच कर के कोई उसको बुला है। वो निचे देखता है तो स्कूल यूनिफार्म में, चस्मा लगाए हुए एक नन्हा सा बच्चा है। नीली पेंट, सफ़ेद शर्ट, शर्ट थोड़ी बहार निकली हुई और गले में ढीली टाई।

वो बच्चे की तरफ देखते हुए दुकान का मालिक कहता है: “हाँ..!! छोटे उस्ताद क्या चाहिए?”
तो आगे से वो बच्चा जवाब देता है: “की मैं आपकी दुकान से एक पिल्ला खरीदना चाहता हु, मैं एक नन्हा सा-प्यारा सा पिल्ला लेना चाहता हु।”

अब उस छोटे बच्चे को क्या पता कि उसकी गुल्लक की बचत से कई ज्यादा महंगे होते है ये बेजुबान और मासूम जानवर।
तो वो दुकान का मालिक उस बच्चे को समझाता है कि: “बेटा ये पिल्ले बहुत महंगे होते है, जिनको खरीदने के लिए खूब सारे पैसे चाहिए।”

तो वो यूनिफार्म में खड़ा प्यारा सा बच्चा अपने जेब में हाथ डालता है और 20 रूपए निकलता है फिर दूसरे जेब में हाथ डालता है और 3 रूपत निकलता है, 23 रूपए एक साथ रख के फिर उस दुकान के मालिक को कहता है कि: “अंकल मेरे पास ये 23 रूपए है, क्या ये 23 रूपए देकर, मैं पिल्ले को थोड़ी देर देख सकता हु, इनको खेलते हुए देख सकता हु?”

वो दुकान का मालिक उस बच्चे की बात पर मुस्कुराता है, और 23 रूपए वापस उसके जेब में डालता है और उसकी पीठ पर हाथ रखता है और कहता है: “बेटा आजा.!!”

और वो दुकान का मालिक उस बच्चे को अन्दर लेकर चला जाता है। दुकान के अन्दर जाकर वो बच्चा पिल्ले को देखना शुरू करता है। पिल्ले को एक-दुसरे के साथ खेलते हुए देख इस बच्चे की आँखे जैसे नाच उठती है।

फिर अचानक उस बच्चे की नजर कोने में एक सफ़ेद पिल्ले की तरफ पड़ती है। वो पल्ला ठीक से चल नहीं पा रहा होता है, वो घसीट-घसीट के चल रहा होता है। वो बाकियों की तरह खेल नहीं पा रहा होता है। वो बाकियों के पास जाने की कोसिस कर रहा होता है लेकिन ठीक से चल नहीं पा रहा होता है।

उस पिल्ले को देखते हुए वो बच्चा दुकान के मालिक को आवाज देता है, कहता है: “अंकल, अंकल मुझे हेना वो कोने वाला वो सफ़ेद कलर का पिल्ला चाहिए, वो कितने का है।”

तो वो दुकान का मालिक उसको कहता है कि: “ये पिल्ला ज्यादा महंगा तो नहीं है। लेकिन इस पिल्ले की एक टांग टूटी हुई है। तो वो बाकी पिल्ले की तरह तेरे साथ खेल नहीं पाएगा। तेरे आगे-आगे भाग नहीं पाएगा। तेरे साथ मस्ती नहीं कर पाएगा। तो इस पिल्ले को लेकर तू क्या करेगा?”

यह सुन कर वो बच्चा एक कदम पीछे होता है, अपने दाए टांग की पेंट को ऊपर करता है।

वो दुकान का मालिक देख के हैरान रह जाता है कि उस बच्चे की बाई टांग पे स्टील की प्लेट लगी होती है।

वो बच्चा मुस्कुराते हुए कहता है: “देखा अंकल.!! मैं भी नहीं भाग पाता। उसको कोई मिल जाएगा जो उसे समझ सके, और मुझे कोई मिल जाएगा जो मुझे समझ सके”

“उसको कोई मिल जाएगा जो उसे समझ सके, और मुझे कोई मिल जाएगा जो मुझे समझ सके”

ये दिनिया भरी पड़ी है उन लोगो से जिनको कोई चाहिए जो उनको समझ सके। बहुत बार दुसरो को जाने बिना उनके बारे में विचार बना लेते है।

जैसे: यार उसकी हरकते हेना मुझे समझ नहीं आती, मेरा पडोसी हेना बेकार है, मेरी बीवी को ऐसे नहीं कहना चाहिए था।

और ऐसे न जाने कितने विचार बनाते रहते है।

जरुरी नहीं है कि जो आप दुसरो के बारे में सोच रहे है वो सच है। अगर आप लोगो से जुड़ना चाहते है, लोगो का प्यार चाहते है अपनी रिश्तेदारी को बढ़ाना चाहते है। तो दुसरो को समझने की कोसिस करे।

रिलेशन में समस्या का सबसे बड़ा कारण यही है कि अपनी बात सुनना तो हर कोई चाहता है लेकिन दुसरे को समझना कोई नहीं जनता।

तो यह थी मेरी एक और कोसिस उल्जे रिस्तो को सुल्जाने की। मेरी यह कोसिस अच्छी लगी हो तो अपने फेसबुक और whatsapp पे share जरुर कीजिये।

Stay blessed, Stay Inspired…

**शिक्षाप्रद कहानियों का विशाल संग्रह**

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